कहने में यह बात विचित्र-सी है पर सच है…
सुनसान सड़क पर हुई हत्या का राज खुल गया है…
पुलिस से पहले, जनता जान गई है हत्यारों का सच;
कुछ नवयुवक न्यायालय में घुस आए हैं…
बता रहे हैं कैसे हुई हत्या?
बिना कुछ सुने जज ने उन्हें कहा है… चुप हो जाओ।
न्यायमूर्ति ने उन्हें दे दिया है,एक वर्ष का सश्रम कारावास।
क्यों न दें? न्यायालय की अपनी परंपरा है, उसकी मर्यादा है ।
न्यायिक परंपरा और मर्यादा की भाषा में यह ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
पूरे साल मेहनतकर उगाई गई फ़सल की बर्बादी के कारण
बहुत-से किसानों ने कर ली है आत्महत्या…
सरकार से पहले, अख़बार जान गया है यह सच।
अख़बार पर, तत्काल प्रभाव से लग गया है प्रतिबंध…
शासन की नज़र में, यह ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
आज़ाद देश में अपनी गुलामी की हकीकत, पहचानने लगी है जनता;
राजपथ के निकट उठती, मुक्ति की मांग से विद्रोह की बू आने लगी है।
निरीह जनता पर लाठियां बरसाकर, पुलिस दुहाई देती है कानून-व्यवस्था की।
कानून मंत्री का कहना है…
हम किसी भी कीमत पर संविधान की रक्षा करेंगे।
संविधान की नज़र में यह ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
विश्वविद्यालय में सांप्रदायिक गतिविधियों को लेकर,
विद्यार्थियों ने कर दिया है कुलपति का घेराव।
अभी-अभी खबर आई है…
विश्वविद्यालय में आतंकी घुस गए थे।
सभी जेल भेज दिए गए हैं… हमने शिक्षा को आतंक-मुक्त कर दिया है।
छात्र-विरोध लोकतंत्र में ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
अभी आज ही की घटना है… एक ही साथ हुए हैं;
उत्तर में सामूहिक नरसंहार, दक्षिण में बलात्कार
पूर्वोत्तर में धार्मिक बहिष्कार और पश्चिम में देह-व्यापार।
चंद मिनटों बाद प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में;
हमारे जननायक कहते हैं…हम दिनों दिन उन्नति कर रहे हैं… देश में शांति है।
मुट्ठीभर बुद्धिजीवी, कर रहे हैं घटनाओं का विरोध
पता चला है, वे देश के नागरिक नहीं हैं…
उन्हें दे दी गई है जेल… विदेशी एजेंट कहकर।
सरकार की नज़र में यह ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
एक माननीय हैं, जब मन में आया…
देश को कहते रहते हैं कचरा घर…
सुना है इसी कचरा घर में उनका करोड़ों का बंगला है।
प्रशासन भी चुप है… कैसे करें कार्यवाही…?
दूर दूर तक फैली हैं उनकी पहुंच की बाहें;
और माननीय के खिलाफ कुछ कहना भी तो ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
गांव के नीम के पेड़ से लटक रही हैं दो लाशें…
प्रेम विवाह के आकांक्षी युवक और युवती की।
दोनों के पिताओं ने गला रेतकर,कर दी है उनकी हत्या।
संतान के शोक में बिलखती माओं को चुप कराती पंचायत का फैसला है…
प्रेम विवाह ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
शहर के कचरे के ढेर के पास मिली हैं कुछ लाशें नंगे-भूखों की।
मीडिया ने प्रसारित की है सनसनीखेज खबर…
शहर में हुई कई बड़ी चोरियों में शामिल गिरोह के शातिर चोर हुए पुलिस की गोलियों के शिकार ।
हालाँकि,मोहल्ले के लोगों ने देखा था…
कल रात उन्हें कचरे के डिब्बे से जूठी रोटियाँ चुनते हुए।
सुबह डीजीपी ने, पुलिस से मिलिए… प्रेस वार्ता में कहा है…
अपने गुनाहों से शहर को कर दिया था हलकान,हमने मार गिराया…
हां, वास्तव में ऐसी बड़ी-बड़ी चोरियाँ करना ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
लोग अवाक हैं… जानते हैं सच, निर्दोष थे वे…
लेकिन कह नहीं सकते… क्योंकि पुलिस की नज़र में सच कहना ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
बीमार था, उसका बेटा…
नंगे पैर दौड़ा था अस्पताल में वह, डॉक्टर के कमरे की ओर…
अस्पताल में गंदगी फैलाने के लिए उसे रख दिया गया… अस्पताल के बाहर।
जैसे-तैसे मेहनत करके घंटों बाद वह फिर से पहुंचा है भीतर …
अस्पताल के हाल में…घोषणा हो रही है…
यह एक लावारिस लाश है…किसकी है कोई जानता है क्या?
उसे तो काठ मार गया है… मरे हुए बेटे को देखकर…
पर वह इतना ज़रूर जान गया है…
अस्पताल में डॉक्टर से बीमार के इलाज़ के लिए,
मिन्नतें करना ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।
सब जानते हैं, दिल और दिमाग से पैदल व्यवस्था का सच…
पर कहें कैसे?
आज के दौर में सच कहना तो निहायत ग़ैर-क़ानूनी हौसला है।