उदास मत होना असफलताओं को सोचकर या पा कर भी,
क्योंकि हर असफलता किसी नवनिर्माण की पूर्व सूचना है।
तुम कहोगे कि असफलता तो असफलता है, उसमें कैसा नव निर्माण?
पर मित्र, असफलता में भी सन्निहित है तुम्हारी आकांक्षाएं, तुम्हारा श्रम, तुम्हारे प्रयास, तुम्हारा जीवन।
असाध्य को साधने में तुम्हें प्राप्त हुए तुम्हारे नितांत निजी अनुभव।
जब इतना कुछ है तुम्हारे पास, तो न मानकर हार परिस्थितियों से;
जुटाओ साहस की पूंजी एक बार फिर,
और लग जाओ एक बार पुनः तन-मन को समवेत कर।
देखना, लक्ष्य तुम्हारे करीब होगा।
तुम बनो समय के सारथी।
तुम बनो सूर्य और पृथ्वी सदृश,
जो जानते हैं चिरकाल से की गति और स्थिरता दशाएं हैं; ये प्राप्ति और फल नहीं।
फिर भी रहते हैं एक परिधि में निरंतर गतिमान और जागृत
क्योंकि एक को देनी है ऊर्जा और दूसरे को करना है पोषण समस्त सृष्टि का।
लेकर इनसे सतत, अखंड, अविरल प्रेरणा; हो जाओ पुनः कर्ममय।
देखोगे तुम कि असफलताएं तुम्हारे जीवनवृत्त से अंततः बहिर्गामिनी हो रही हैं।