समय का वर्त्तमान काल
यह समय का वर्त्तमान काल है… इस समय जबकि झूठ,फ़रेब,धोखाRead More…
हिंदी हमारी, हम हिंदी के…
यह समय का वर्त्तमान काल है… इस समय जबकि झूठ,फ़रेब,धोखाRead More…
सोचता हूँ…सफलता क्या है? सयानेपन का सतत अभिनय या दुख मेRead More…
(अनुभूतियों से बनारस को पहचानना) Read More…
हे महोदधि! कौन हो तुम? धरा के सहचर…उसके अस्तित्व का पर्याRead More…
आखिर वह समय भी आ गया जब एक पुरुष ने जन्म दिया है स्वयRead More…
आजकल जब देखता और सुनता हूँ, कोई कहीं जा नहीं सकता, एक साथ.Read More…
सुना था…प्रेम की कोई परिधि नहीं होती, वह असीम,निस्सीम अनRead More…
मन में आशा,गति में धैर्य और अस्तित्व की संपूर्णता में सफRead More…